इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किसी भी राजनीतिक पार्टी को दान करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद एक नया परिप्रेक्ष्य उत्पन्न हुआ है। अब लोग इस तकनीक का उपयोग नहीं कर सकते हैं। लेकिन, राजनीतिक दान करने के अन्य तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
एक पार्टी के समर्थन में दान करने का सबसे सामान्य तरीका
एक पार्टी के समर्थन में दान करने का सबसे सामान्य तरीका है राशि का चेक या ऑनलाइन भुगतान करना। आप अपनी पसंदीदा पार्टी की वेबसाइट पर जाकर दान कर सकते हैं या फिर उनके कार्यालय में नकद या अन्य भुगतान विकल्प का उपयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप अपने पसंदीदा राजनीतिक नेता या पार्टी के संपर्क कार्यालय में संपर्क करके दान करने के लिए उनके निर्देशों का पालन कर सकते हैं।
जो भी तरीका आप चुनें, सुनिश्चित करें कि आप वित्तीय संवेदनशीलता के प्रति सजग रहें और अपने दान की विवेकपूर्णता बनाए रखें।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने के बाद, राजनीतिक दल चंदे के लिए अन्य कई तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। यहां कुछ प्रमुख तरीके हैं:
- डायरेक्ट दान (Direct Donation): लोग अब सीधे रूप से राजनीतिक पार्टियों को नकद या ऑनलाइन भुगतान करके दान कर सकते हैं। यह दान उन्नत तकनीकी साधनों का उपयोग करके किया जा सकता है।
- कॉर्पोरेट दान (Corporate Donations): कई कंपनियों और व्यापारिक संगठन अपने पसंदीदा राजनीतिक दलों को चंदे देते हैं। यह दान अक्सर निजी संदर्भों में किया जाता है और राजनीतिक पार्टियों के नीतिगत पक्ष के साथ मेल खाता है।
- कैंपेन या इवेंट्स में दान (Donations at Campaigns or Events): राजनीतिक दल अक्सर कैंपेन या इवेंट्स के दौरान लोगों से दान के लिए अनुरोध करते हैं। यह दान सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के माध्यम से किया जाता है।
सदस्यता और आंशिक अदान (Membership and Partial Contributions
- सदस्यता और आंशिक अदान (Membership and Partial Contributions): लोग राजनीतिक पार्टियों के सदस्य बनकर या आंशिक अदान देकर भी चंदे का समर्थन कर सकते हैं।
- कौशल संगठन (Skill-Based Volunteering): लोग अपने कौशलिक क्षमताओं का उपयोग करके राजनीतिक दलों को समर्थन प्रदान कर सकते हैं, जैसे कि डिज़ाइनिंग, टेक्नोलॉजी, या कॉम्यूनिकेशन के क्षेत्र में।
इन तरीकों के माध्यम से, लोग अपनी आर्थिक सहायता के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों को समर्थन प्रदान कर सकते हैं, और डेमोक्रेसी की संरक्षण म
इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय उपकरण है जिसका उपयोग किसी भी नामहीन दाता द्वारा किया जा सकता है, और इसे किसी भी पंजीकृत राजनीतिक पार्टी को दान के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया जाता है और यह एक प्रयास है खुले और जवाबदेह राजनीतिक वित्त को बढ़ावा देने का।
इलेक्टोरल बॉन्ड का उपयोग करके, कोई भी व्यक्ति या संगठन अपने बैंक खाते से एक निश्चित राशि का दान कर सकता है, और फिर यह बॉन्ड उसी राजनीतिक पार्टी को दिया जा सकता है जो कानूनी रूप से पंजीकृत है। ये बॉन्ड कैश के रूप में नहीं आते, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में होते हैं और उन्हें केवल एक निश्चित समयावधि के अंदर ही इनकैश किया जा सकता है।
परंतु, इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर विवाद है क्योंकि इसमें दाता का नाम गोपनीय रखा जाता है, जिससे राजनीतिक वित्त की पारदर्शिता और जवाबदेही को खतरा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर पारदर्शिता को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसके अलावा, इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता और पारदर्शिता पर और भी चर्चाएँ हैं, और इस तरह के राजनीतिक वित्त प्रणालियों पर विनियमन और सुधार की चर्चा की जा रही है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है
इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है, जिससे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे पर पाबंदी लग गई है। इसके बाद से, लोगों के मन में यह सवाल उठा है कि अब पार्टियों को चंदा कैसे दिया जाए। जब तक सरकार द्वारा इस मुद्दे पर नए नियम नहीं बनाए जाते, पुराने तरीकों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए लोग अब भी चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से उनकी सहायता कर सकते हैं, जिसकी जानकारी वे चुनाव आयोग को देने होते हैं। इसके अतिरिक्त, राजनीतिक दल अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से भी चंदा ले सकते हैं, लेकिन इसमें उन्हें सम्पूर्ण जानकारी देनी होती है कि किस पार्टी को कितना चंदा दिया जा रहा है।
इस नए प्रणाली के तहत, चंदे का प्रदान अब पूरी तरह से पारदर्शी होगा, जिससे लोगों को पार्टियों के धन के प्रयोग का स्पष्ट और सही ज्ञान होगा।
चंदे के मुद्दे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, भारतीय गृहमंत्री अमित शाह ने नमो ऐप का इस्तेमाल करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दो हजार रुपये का चंदा दिया। इसके साथ ही, उन्होंने देश के अन्य लोगों से भी सहयोग की अपील की है। यह चंदा देने का एक तरीका है, जिसे अमित शाह ने अपनाया है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के बाद, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को चुनाव आयोग को चुनावी चंदे की जानकारी देनी होगी। इसके बाद Electoral Bond इसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
इसी दौरान, एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 से जुलाई 2023 तक कई राजनीतिक दलों को कुल 13,000 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। इस अवधि के दौरान, भाजपा ने 58 प्रतिशत का हिस्सा प्राप्त किया, जिसमें 9,208 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड शामिल हैं।